एक चट्टान को तराश कर बनाया गया, प्राचीन मसरूर रॉक कट मंदिर। 4K । दर्शन 🙏
भक्तों! सादर नमस्कार! प्रणाम, बहुत बहुत वंदन और अभिनन्दन! भक्तों! हिमाचल प्रदेश की भूमि के कण कण में देवी देवताओं का वास माना जाता हैं। कदाचित इसीलिए इसे देवभूमि की संज्ञा प्राप्त है। यह एक ऐसा प्रदेश है जहां कई रहस्यमयी धाम, तीर्थ और मंदिर है, और उनसे जुड़ी हुई अनगिनत धार्मिक व पौराणिक कथाएं हैं। जो न केवल सभी को अचंभित कर देती है बल्कि अपने अनवरत चमत्कारों के सम्मुख आधुनिकता और तार्किकता को नतमस्तक कर देती है।
भक्तों! आज हम आपको हिमाचल प्रदेश के जिस दर्शनीय, रहस्यमयी और सुविख्यात मंदिर की यात्रा पर ले जा रहे हैं। उसका नाम है मसरूर रॉक कट मंदिर.
कहाँ स्थित है:
भक्तों! मसरूर रॉक कट मंदिर, हिमाचल राज्य के, कांगड़ा जिले में ब्यास नदी की कांगड़ा घाटी पर बसे मसरूर गाँव में स्थित है। मसरूर रॉक कट टेंपल के नाम से मशहूर उन्नीस मंदिरों में से सोलह मंदिरों को चट्टान के एक टुकड़े से तराश कर बनाया गया था, जबकि दो मंदिर मुख्य परिसर के दोनों ओर स्वतंत्र रूप से खड़े हैं। यह राष्ट्रीय धरोहर है।
इतिहास:
भक्तों! जहां तक मसरूर रॉक मंदिरों के इतिहास की बात है, तो इसका सही अंदाजा तक कोई नहीं लगा पाया। लेकिन हिमालयन पिरामिड के नाम से विख्यात बेजोड़ कला के नमूने रॉक कट टेंपल मसरूर एक अनोखा और रहस्यमयी इतिहास समेटे हुए हैं। पुरातत्व विभाग के अनुसार शायद 8वीं सदी में बना यह मंदिर उत्तर भारत का इकलौता ऐसा मंदिर है। देखा जाए तो पत्थरों पर ऐसी खूबसूरत नक्काशी करना बेहद मुश्किल काम है। ऐसे में ये कारीगरी करने के लिए दूर से कारीगर लाए गए थे। लेकिन यह कारीगरी किसने की इसके आज तक पुख्ता सबूत नहीं मिल पाए हैं। पुरातत्व विभाग के संरक्षण में यह प्राचीन मंदिर तथा इसमें तराशी गई मूर्तियां, छठी और दसवीं शताब्दी की प्रतीत होती हैं।
इतिहासकारों की राय:
भक्तों! इतिहासकारों के अनुसार, मसरूर रॉक मंदिर परिसर में जो अन्य प्राचीन उल्लेखनीय धार्मिक स्थल हैं...उनकी बनावट महाबलीपुरम के रॉक-कट मंदिर, एलीफेंटा गुफा, अजंता- एलोरा गुफा और कंबोडिया में अंगकोर वाट से मिलती जुलती है। मंदिर परिसर के पास गुफाओं और मंदिर क्षेत्र के आसपास पाए गए खंडहरों से बड़ी मानव बस्ती के प्रमाण मिलते हैं। लेकिन इन मंदिरों को लेकर इतिहासकारों और पुरातत्ववेत्ताओं में मतभिन्नता अब भी बरकरार है।
अजंता-एलोरा ऑफ हिमाचल:
भक्तों! मसरूर को अजंता-एलोरा ऑफ हिमाचल भी कहा जाता है। हालांकि ये एलोरा से भी पुराने हैं। पहाड़ काट कर गर्भ गृह, मूर्तियां, सीढ़ियां और दरवाजे बनाए गये हैं। मंदिर के बिल्कुल सामने मसरूर झील है जो मंदिर की खूबसूरती में चार चांद लगाती है।
द्रौपदी के लिए झील:
भक्तों! मसरूर मंदिर के बिल्कुल सामने एक बहुत खूबसूरत झील है, जिसे मसरूर झील के नाम से जाना जाता है। इस झील में कुछ मंदिरों के प्रतिबिंब दिखाई देते हैं जो अत्यंत मनोहर और सुंदर लगते हैं। इस झील से जुड़ी जनश्रुतियों के अनुसार इन मंदिरों का निर्माण पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान किया था और मंदिर के सामने खूबसूरत झील को पांडवों ने अपनी पत्नी द्रोपदी के लिए बनवाया गया था।
अनोखा मंदिर:
भक्तों! मसरूर रॉक मंदिर समुद्र तल से लगभग 2500 फुट की ऊंचाई पर एक ही चट्टान को काट कर बना देश का एकमात्र मंदिर है। मसरूर रॉक मंदिर जैसी कला आज ढूढ़ने पर भी नहीं मिलती। सबसे अहम बात यह कलाकृतियां चट्टानों के ऊपर, बिना चट्टानों को तोड़े फोड़े तराश कर बनाई गई हैं। उस समय जिन्होने इस मंदिर का निर्माण किया होगा। जिन कलाकारों ने इन मंदिरों को बनाया होगा। उनकी कलाकृति की कितनी समझ होगी? वो कितने महान कलाकार रहे होंगे? उन वास्तुकारों और शिल्पकारों की महत्वाकांक्षायेँ कितनी विकसित रही होंगी? इसकी कल्पना सहज ही जा सकती है।
भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन ! 🙏
इस कार्यक्रम के प्रत्येक एपिसोड में हम भक्तों को भारत के प्रसिद्ध एवं प्राचीन मंदिर, धाम या देवी-देवता के दर्शन तो करायेंगे ही, साथ ही उस मंदिर की महिमा उसके इतिहास और उसकी मान्यताओं से भी सन्मुख करायेंगे। तो देखना ना भूलें ज्ञान और भक्ति का अनोखा दिव्य दर्शन।🙏
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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