सरयू नदी में जाकर श्री राम ने किया महाप्रस्थान | रामायण | दिव्य कथाएँ
लक्ष्मण के महाप्रयाण के पश्चात श्री राम भी महर्षि वाल्मीकि से आज्ञा लेकर महाप्रस्थान करने का निश्चय करते है। उनका यह निर्णय सुन कई अयोध्या वासी भी उनके साथ महाप्रस्थान में चलने की अनुमति मांगते है, तो महर्षि वाल्मीकि श्री राम को बताते है कि इनमें कई देवताओं के पुत्र, गंधर्व आदि है, जो ब्रह्मा जी के आदेश पर उनकी सेवा के लिए आए है। यह सुन श्री राम सभी को अपने साथ चलने की अनुमति दे देते है। जब श्री राम अपने महाप्रस्थान के लिए चलते है तो उनके आगे-आगे कमलपुष्प बैठ कर सिद्ध गायत्री चलती है तथा उनके पीछे प्रजा के साथ कई देवी-देवता भी अपने वास्तविक रूप में आकर पीछे चलते है, यहां तक उनके धनुष वाण भी मनुष्य रुप धारण करके उनके पीछे चलने लगते है। सरयू तट पर पहुंच कर जैसे ही श्री राम जल में प्रवेश करते है तभी ब्रह्मा जी प्रकट होते हुए श्री राम का स्वागत करते है और उनसे अपने चतुर्भुज रूप में प्रवेश करने का आग्रह करते है। श्री राम के चतुर्भुज रुप में आने पर आकाश से एक विमान उन्हें लेने के लिए आता है। चतुर्भुज रुपी श्री राम यानि साक्षात भगवान विष्णु के विमान पर बैठने के पश्चात भरत और शत्रुघ्न आगे आकर भगवान विष्णु के शरीर में विलीन हो जाते है। भगवान विष्णु हनुमान जी को आज्ञा देते है कि जब तक उनकी कथाओं को प्रचार रहेगा, तब तक तुम भी धरती पर रहोगे। सुग्रीव के अनुरोध करने भगवान विष्णु उन्हें भी प्रस्थान करने की आज्ञा देते है। ब्रह्मा जी वहाँ पर उपस्थित प्रजा से कहते है कि जो भक्ति भाव से सरयू नदी में देह त्यागेंगे, वे उनके बनाए हुए संतान्क लोक में जाएंगे। भगवान विष्णु के विमान के प्रस्थान के पश्चात प्रजा सरयू के जल में समाधि ले लेती है, जिससे उनकी आत्माएं देव स्वरूप में आकर अपने लोकों में चली जाती है। अंत में भगवान विष्णु क्षीर सागर में स्थित अपने शेषनाग के आसन में जाकर विराजमान हो जाते है। जय श्री राम!
महाकाव्य रामायण का एक अति महत्वपूर्ण काण्ड है - उत्तर काण्ड अर्थात उत्तर रामायण, रावण के वध के पश्चात श्री राम के सीता सहित अयोध्या वापस आकर राजसिंहासन संभालने की कथा, एक बार पुनः श्री राम सीता के बिछड़ने की कथा, लव-कुश की कथा। श्री राम के राजकीय जीवन और पारिवारिक जीवन के अंतर्द्वंद्व का चित्रण, जिसे रामायण धारावाहिक की सफलता के पश्चात जन भावना को ध्यान में रखते हुए रामानंद सागर जी ने रविन्द्र जैन के मधुर गीत-संगीत से लयवद्ध करा के “उत्तर रामायण” के रूप में प्रस्तुत किया। “तिलक” अपने इस नये संकलन “गीत-संवाद” में उत्तर रामायण के अनेक काव्यबद्ध प्रसंगों को आपके समक्ष प्रस्तुत करेगा। भक्ति भाव से इनका आनन्द लीजिये और तिलक से जुड़े रहिये।
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