रामायण कथा | लंका कांड (भाग -1)
https://youtu.be/j9N4fpQYjqA
श्री हनुमानाष्टक आदित्य गढ़वी के भावयुक्त स्वर में। संकटमोचन हनुमानाष्टक की संरचना गोस्वामी तुलसीदास ने की थी. माना जाता है कि संकटमोचन हनुमानाष्टक का पाठ करने से व्यक्ति अपनी हर बाधा और पीड़ा से मुक्त हो जाता है और उसके सभी संकट दूर हो जाते हैं।
Watch the video song of ''Darshan Do Bhagwaan'' here - https://youtu.be/j7EQePGkak0
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रावण की सभा में जब श्री राम और लक्ष्मण के देवता होने की बात करते हैं तो मेघनाध को क्रोध आता है और वो शत्रुओं को मारने की बात करता है। इंद्रजीत रावण से आज्ञा माँगता है की वो उन पर आक्रमण कर सके और उन्हें रात्रि में ही हमला करके मार दे।
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युद्ध आरम्भ होने की पूर्व रात्रि पर पटरानी मन्दोदरी रावण को समझाने का प्रयास करती है। मन्दोदरी रावण से कहती है कि वह अपने भुजबल से देवताओं को भी जीत सकता है लेकिन किसी सती सतवन्ती नारी के हृदय को नहीं जीत सकता। वह रावण को याद दिलाती है कि उसे अपने बल पर दम्भ है लेकिन यह भी सत्य है कि वह लक्ष्मण द्वारा खींची गयी लकीर को पार भी नहीं सका था। रावण को समझाने में विफल मन्दोदरी हताश होकर पृथ्वी पर घुटनों के बल बैठ जाती हैं। युद्ध की पूर्व रात्रि राम भी अपनी छावनी में सुग्रीव, जामवन्त, अंगद और हनुमान के साथ मंत्रणा करते हैं। युद्ध के पहले दिन सूर्यवंशी राम सूर्योदय के साथ भगवान भाष्कर की वन्दना करते हैं। युद्ध आरम्भ होता है और दोनों तरफ से भयंकर युद्ध होता है। सुग्रीव के हाथों रावण का सेनानायक वज्रमुष्टि मारा जाता है। इस समाचार से रावण बौखलाता है। रावण का द्वितीय पुत्र प्रहस्त वानर सेना में भयंकर मारकाट मचाता है। उसे रोकने के लिये लक्ष्मण को स्वयं लड़ने आना पड़ता है। एक दूसरे मोर्चे पर हनुमान रावण के असुर र्दुर्मुख से युद्ध करते हैं और अपने घुटने से उसका गला दबा कर उसका वध कर देते हैं। र्दुर्मुख वध से रावण विचलित होता है। उधर प्रहस्त कई मायावी अस्त्रों का प्रयोग करता है किन्तु लक्ष्मण उसके हर वार को विफल कर उसका वध करते हैं। राम अनुज लक्ष्मण के इस पराक्रम से प्रसन्न होते हैं। रावण और मेघनाद प्रहस्त के मारे जाने के समाचार से शोकाकुल होते हैं। रावण मकराक्ष को सेना का नेतृत्व करने की अनुमति देता है। युद्धभूमि में मकराक्ष का मार्ग अंगद रोकते हैं लेकिन मकराक्ष राम को सामने आने के लिये ललकारता है। लक्ष्मण मकराक्ष का उपहास उड़ाते हैं। तभी राम वहाँ आकर लक्ष्मण से कहते हैं कि किसी भी योद्धा की चुनौती का उपहास नहीं उड़ाना चाहिये। राम मकराक्ष की चुनौती स्वीकार करते हुए वचन देते हैं । मकराक्ष अपने कई मायावी प्रतिबिम्ब तैयार कर लेता है। राम समझ नहीं पाते कि इनमें से असली मकराक्ष कौन है। तब विभीषण उन्हें बताते हैं कि असली मकराक्ष के घावों से रक्त बहेगा जबकि मायावी मकराक्षों के रक्त नहीं निकलेगा। तब राम बहते रक्त से पहचान कर असली मकराक्ष पर बाण चलाते हैं और उसका वध कर देते हैं। राम मकराक्ष को माँ के संकल्प पर अपने प्राण अर्पण करने वाला मातृभक्त पराक्रमी सपूत कहते हैं और उसके शव को वीरोचित सम्मान के साथ लंका पहुचाने का निर्देश देते हैं। मकराक्ष की मौत पर रावण दुःखी होता है लेकिन उसकी आँखें अभी भी नहीं खुलती। अब वह स्वयं युद्धभूमि में जाने की घोषणा करता है। रावण राम को सामने आने के लिये ललकारता है और कहता है कि युद्ध लम्बा खिंचने से दोनों ओर के निरपराध सैनिक मारे जा रहे हैं। वह सीधा राम से युद्ध करके आज किस्सा खत्म कर देना चाहता है। किन्तु सुग्रीव पहले रावण के सामने आ जाता है। रावण एक मुष्टिका प्रहार से सुग्रीव को मूर्च्छित कर देता है और फिर उसकी हत्या करने के लिये बाण चलाने वाला होता है कि लक्ष्मण अपने बाण से रावण का धनुष काट देते हैं। लक्ष्मण रावण को धिक्कारते हैं कि वो एक मूर्च्छित योद्धा का वध करना चाहता था। रावण विषबुझा बाण चलाकर लक्ष्मण को मूर्च्छित अवस्था में पहुँचा देता है। अंगद लक्ष्मण को युद्धभूमि से बाहर ले जाते हैं। क्रोधित हनुमान रावण के रथ पर चढ़कर उस पर प्रहार करते हैं लेकिन रावण हनुमान को रथ से नीचे गिरा देता है। राम वहाँ आकर रावण के बल की प्रशँसा करते हैं लेकिन खेद प्रकट करते हैं कि रावण अपने बल का उपयोग पापकर्मों में कर रहा है। रावण राम से अस्त्र शस्त्र की भाषा में बात करने की चुनौती देता है। राम रावण के बीच प्रथम युद्ध छिड़ जाता है। राम रावण के हर अस्त्र शस्त्र को काट देते हैं। जब शिव से वरदान में प्राप्त रावण की चन्द्रहास तलवार को राम अपने बाण से दो टुकड़ों में विभक्त कर देते हैं तब पहली बार रावण के चेहरे भय की रेखाएं साफ उभरती हैं। राम कहते हैं कि तुम असुरों की कोई युद्ध नीति नहीं होती लेकिन रघुवंशी युद्धधर्म का पालन करते हैं।
रामायण एक भारतीय टेलीविजन श्रृंखला है जो इसी नाम के प्राचीन भारतीय संस्कृत महाकाव्य पर आधारित है। यह श्रृंखला मूल रूप से 1987 और 1988 के बीच दूरदर्शन पर प्रसारित हुई थी।
इस श्रृंखला के निर्माण, लेखन और निर्देशन का श्रेय श्री रामानंद सागर को जाता है।
Ramayan is an Indian television series based on ancient Indian Sanskrit epic of the same name. The show was originally aired between 1987 and 1988 on DD National. It was created, written, and directed by Ramanand Sagar. The show is primarily based on Valmiki's 'Ramayan' and Tulsidas' 'Ramcharitmanas'.
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