दिवाली विशेष कथा | माँ लक्ष्मी हुई समुद्र मंथन से अवतरित | Jai Mahalaxmi Katha | 2023
असुरों और देवताओं के बीच समुद्र मंथन होता हिया तो उसमें से बहुत साई चीजें निकलती हैं जिन्हें देवताओं और असुरों में बाँटने की बात की जाती है। समुद्र मंथन से अश्वों का राजा निकलता है और फिर समुद्र मंथन से ऐरावत निकलता है। कुछ समय बाद समुद्र मंथन से कोसतुब मणि निकलती है। देवता और असुर सभी एक एक करके वस्तुओं को अपने लिए रखने की बात करते हैं। समुद्र मंथन से कामधेनु गाय निकलती है और फिर कल्प वृक्ष निकलता है। उसके बाद समुद्र मंथन से चिंतामणि निकलती है। इन सभी वस्तुओं के बाद लक्ष्मी माता अपने महालक्ष्मी रूप को समुद्र से अवतरित करती हैं। देवी देवता और असुर लक्ष्मी माता की आराधना करते हैं। असुर राज लक्ष्मी माता को देख कर उसे अपने अधीन कर अपने साथ असुर लोक में ले जाने की ज़िद्द करता है। लक्ष्मी माता उसे मना कर देती है। असुर राज बलि लक्ष्मी माता को बंदी बनाने की कोशिश करता है परंतु बना नहीं पाता। असुर गुरु शुक्राचार्य असुर राज बलि को माता लक्ष्मी की शरण में जाने को कहते हैं। बलि लक्ष्मी माता से क्षमा माँगता है।
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