जानिए क्यों की जाती है इस मंदिर में खंडित शिवलिंग की पूजा? Siddhnath Mahadev Mandir Surat। दर्शन🙏
ॐ नमः शिवाय.. आप सभी का हमारे कार्यक्रम दर्शन में हार्दिक अभिनन्दन...
भक्तों, भगवान शिव को आदि देव कहा जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार जब कुछ नहीं था तब भी शिव थे और जब कुछ नहीं रहेगा तब भी शिव रहेंगे। शिव का न कोई आरंभ है और न ही कोई अंत। अर्थात उन्होंने ना कभी जन्म लिया है ना कभी उनकी मृत्यु संभव है। माना जाता है कि केवल ॐ नमः शिवाय मन्त्र का जाप करने से ही सभी देवी-देवताओं की पूजा हो जाती है क्योंकि शिव सर्वदेवमय है। इसीलिए उन्हें देवों के देव, महादेव कहा जाता है।
और आज हम आपको जिस मंदिर में दर्शन करने के लिए ले चलेंगे वह देवादि देव शिव-शंभू को ही समर्पित है। सूरत से लगभग 25 किलोमीटर दूर ओलपाड तहसील के सरस गांव में सेना नदी के किनारे स्थित सुप्रसिद्ध एवं पौराणिक मंदिर सिद्धनाथ महादेव मंदिर या सिद्धेश्वर महादेव मंदिर. इस पौराणिक मंदिर का वर्णन स्कंद पुराण के तापी महात्म्य में आता है। स्कंद पुराण के अनुसार श्री गोकर्ण ऋषि के तपोबल से संसार के कल्याणार्थ श्री सिद्धेश्वर महादेव प्रकट हुए थे।
भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन ! 🙏
इस कार्यक्रम के प्रत्येक एपिसोड में हम भक्तों को भारत के प्रसिद्ध एवं प्राचीन मंदिर, धाम या देवी-देवता के दर्शन तो करायेंगे ही, साथ ही उस मंदिर की महिमा उसके इतिहास और उसकी मान्यताओं से भी सन्मुख करायेंगे। तो देखना ना भूलें ज्ञान और भक्ति का अनोखा दिव्य दर्शन। 🙏
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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