जय गंगा मैया कथा | यजुवेंद्र का राज्याभिषेक
भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन दो भगवान!
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सगर पुत्र अपने मातामाह के पास आते हैं। राजा गुणवर्धन सगर पुत्रों को मदिरा पिलाता है और उन्हें कहता है की यजुवेंद्र ही अयोध्या उत्तराधिकारी बने सगर पुत्र राजा की बात में आ जाते हैं और अगले दिन वापस अयोध्या लौटने के लिए निकल पड़ते है और उनसे वादा करते हैं की यजुवेंद्र ही अयोध्या का उत्तराधिकारी बनेगा अंशुमन नहीं। राजा सगर अंशुमन को उत्तराधिकारी बनाने के लिए बुलाते हैं लेकिन अंशुमन मना कर देता है और कहता है की मुझसे पहले मेरे काका यजुवेंद्र का हक़ है कृपा करके आप उन्हें उत्तराधिकारी बना दे। राजा सगर और केशनी अंशुमन की बात बड़े प्रसन्न हो जाते हैं और उसकी बात मान लेते हैंयजुवेंद्र अपने भतीजे अंशुमन से क्षमा माँगता है और उस से कहता है की वह अपने किए पर बहुत शर्मिंदा है और अंशुमन चाहे तो उसे दंड दे सकता है क्योंकि मैंने अंशुमन को ग़लत समझा अंशुमान उसे माफ़ कर अपने गले लगा लेता है। राजा सगर अपने पुत्र को राजा बना कर यजुवेंद्र को युवराज बना देता हैं। राजा सगर वन में तप करने जाने की आज्ञा ऋषि वशिष्ठ से माँगते हैं तो वशिष्ठ जी उन्हें अश्वमेघ यज्ञ करने के लिए कहते हैं।
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