दैत्यराज नरकासुर ने देवराज इंद्र काे किया परास्त | श्री कृष्ण | दिव्य कथाएँ
श्री कृष्ण के द्वारा वरण किए जाने से सत्यभामा को अभिमान हो जाता है कि वह अति सुन्दर है और अन्य सभी रानियों में सर्वश्रेष्ठ है। लेकिन जब उसे यह पता चलता है कि श्री कृष्ण रुक्मिणी को अधिक महत्व देते है और उसे सर्वप्रथम पूजा का अधिकार दे रखा है। चूंकि रुक्मिणी जो की स्वयं महालक्ष्मी का अवतार थी इसीलिए प्रातः देवताओं के द्वारा पूजन किए जाने के पश्चात वह सर्वप्रथम श्री कृष्ण की पूजा करने जाती थी। सत्यभामा अगले दिन सत्यभामा प्रातः श्री कृष्ण की सर्वप्रथम पूजा के लिए रुक्मिणी के साथ श्री कृष्ण के कक्ष में पहुँचती है। श्री कृष्ण भी सत्यभामा की इच्छा को ध्यान में रखते हुए उसे सर्वप्रथम पूजा का अधिकार प्रदान करते है। सत्यभामा का यह व्यवहार देख रुक्मिणी श्री कृष्ण से मस्तक पटल के माध्यम से बातें करते हुए कहती है कि मैंने आपको हृदय में बसाया है, उसे अपना अधिकार किसी से माँगना नहीं पड़ेगा और उसका अधिकार कोई छीन भी नहीं सकता। अपने प्रियजनों को अहंकार से मुक्त करने और ज्ञान के मार्ग तक पहुँचाने का उत्तरदायित्व तो आपका ही है प्रभु। जैसे अर्जुन और नारद मुनि को आपने संभाला है, वैसे सत्यभामा का भी बेड़ा पार लगा दीजिए। रुक्मिणी की बातें सुनकर श्री कृष्ण मंद-मंद मुस्कराने लगते है। उन्हीं दिनों दैत्यराज नरकासुर ने तीनों लोकों में अपना उत्पात मचा रखा था, यहाँ तक कि देवराज इंद्र का वज्र भी उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ पाता है। इंद्र को परास्त कर नरकासुर इंद्र लोक का स्वामी बन जाता है और इंद्र की माता अदिति के कानों के कुण्डल तक नोच लेता है और देवताओं को कुण्डल वापस ले जाने की चुनौती देता है। भयभीत होकर देवतागण इंद्र के साथ ब्रह्मा जी की शरण में पहुँच जाते है और उनके कोई मार्ग पूछते है। ब्रह्मा जी कहते है कि नरकासुर ने देवताओं द्वारा न मारे जाने के वर माँगा था, लेकिन मानव द्वारा न मरने का वर नहीं माँगा था। इसलिए भगवान विष्णु श्री कृष्ण के रूप में मानव लीला कर रहे है, श्री कृष्ण की शक्ति नरकासुर का परास्त कर सकती है।
संसार में यदि मनुष्य को कर्म के साथ धर्म के सही सामंजस्य को समझना हो तो इसके लिए श्रीमद् भगवत गीता से बड़ा ग्रंथ नहीं हो सकता। यह ग्रंथ दिव्य है इसीलिए विश्व में सनातन धर्म के अलावा अन्य धर्मों को मानने वाले मनुष्य भी श्री मद् भगवत गीता और श्री कृष्ण के अनुयायी है। सनातन धर्म में श्री भगवान कृष्ण को सोलह कलाओं से पूर्ण अवतार माना गया है। मानव जीवन से जुड़े सभी प्रश्नो का उत्तर आपको श्रीकृष्ण के जीवन से मिल सकता है। श्री भगवत् गीता कृष्ण और अर्जुन का संवाद व उपदेशों का संकलन है। इन उपदेशों को आप अपने जीवन में समाहित कर परमात्मा से जुड़ सकते है। “तिलक” अपने संकलन “दिव्य कथाएं” के इस चरण में श्री कृष्ण से जुड़े प्रसंगों को आपके समक्ष प्रस्तुत करेगा। भक्ति भाव से इनका आनन्द लीजिये और तिलक से जुड़े रहिये।
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