शांति पाठ | 11 पंडित द्वारा | Vedic Chants of Shanti Path by 11 Pandits | तिलक प्रस्तुति
Credits:
Music Director: Siddharth Amit Bhavsar @musicwaala
Lyrics: Traditional
Pandits: Shivam Shastri, Umesh Kumar Pandey, Pradeep Kumar Dwiwedi, Arvind Chaturvedi, Mahendra Dwivedi, Chandra kishore Dwivedi, Amit Dwivedi, Rajendra Dwivedi, Harinarayan Tiwari, Gaurav Kumar Dubey, Dayashankar Tripathi
नमस्कार दर्शकों, हम आशा करते है के नया वर्ष 2023 आप सबके लिए सुखमय हो। नये वर्ष की शुभ शुरुआत के लिए हम अपने चैनल द्वारा आपके लिए लाए है एक नई प्रस्तुति - शांति पाठ जिसे स्वस्तिवाचन पाठ भी कहते हैं ।
शांति पाठ, ब्रह्मांड में शांति लाता है और वाचक की इंद्रियों को शांत करता है। पूरे विश्व में लौकिक शांति लाने के लिए एक हिंदू अनुष्ठान से पहले इस मंत्र का जाप किया जाता है। शान्ति-पाठ से शरीर सब प्रकार से शुद्ध हो जाता है तथा अकल्याण और अशुभ दूर हो जाता है।
शब्दावली:
मन्त्र-१
हरी ॐ आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतोऽदब्धासो अपरीतास उद्भिदः। देवा नोयथा सदमिद् वृधे असन्नप्रायुवो रक्षितारो दिवेदिवे॥
मन्त्र-२
देवानां भद्रा सुमतिर्ऋजूयतां देवानां रातिरभि नो नि वर्तताम् । देवानां सख्यमुप सेदिमा वयं देवा न आयुः प्र तिरन्तु जीवसे ॥
मन्त्र-३
तान् पूर्वयानिविदाहूमहे वयंभगं मित्रमदितिं दक्षमस्रिधम्।अर्यमणंवरुणंसोममश्विना सरस्वती नः सुभगा मयस्करत्।।
मन्त्र-४
तन्नो वातो मयोभु वातु भेषजं तन्माता पृथिवी तत् पिता द्यौः। तद् ग्रावाणः सोमसुतो मयोभुवस्तदश्विना शृणुतं धिष्ण्या युवम् ॥
मन्त्र-५
तमीशानं जगतस्तस्थुषस्पतिं धियंजिन्वमवसे हूमहे वयम्। पूषा नो यथा वेदसामसद् वृधे रक्षिता पायुरदब्धः स्वस्तये॥
मन्त्र-६
स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः। स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥
मन्त्र-७
पृषदश्वा मरुतः पृश्निमातरः शुभंयावानो विदथेषु जग्मयः।अग्निजिह्वा मनवः सूरचक्षसो विश्वे नो देवा अवसा गमन्निह ॥
मन्त्र-८
भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवा भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः।स्थिरैरं गैस्तुष्टुवांसस्तनू भिर्व्यशेम देवहितं यदायुः ॥
मन्त्र-९
शतमिन्नु शरदो अन्ति देवा यत्रा नश्चक्रा जरसं तनूनाम। पुत्रासो यत्र पितरो भवन्ति मा नो मध्या रीरिषतायुर्गन्तोः ॥
मन्त्र-१०
अदितिर्द्यौरदितिरन्तरिक्षमदितिर्माता स पिता स पुत्रः। विश्वेदेवा अदितिः पंचजना अदितिर्जातमदितिर्जनित्वम॥
मन्त्र-११
ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षँ शान्ति:, पृथ्वी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:। वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:, सर्वँ शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि॥
यतो यतः समीहसे ततो नो अभयं कुरु । शं नः कुरु प्रजाभ्योऽभयं नः पशुभ्यः ॥
हरी ॐ माः
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥
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