15वीं सदी में बना, कुम्भलगढ़ क़िले में स्तिथ प्राचीन नीलकंठ महादेव मंदिर दर्शन | 4K | दर्शन 🙏

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संगीत एवम रिकॉर्डिंग - सूर्य राजकमल
लेखक - रमन द्विवेदी

भक्तों नमस्कार! प्रणाम! सादर नमन और अभिनन्दन....भक्तों आज हम आपके साथ जिस मंदिर की यात्रा करने जा रहे हैं वो है समूचे भारत में विख्यात राजस्थान का नीलकंठ महादेव मंदिर..

मंदिर के बारे में:
भक्तों नीलकंठ मंदिर राजस्थान के कुंभलगढ़ किले में स्थित सुंदर, सुप्रसिद्ध, प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर हैं, भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर अपने विशाल शिवलिंगम, अद्भुद वास्तुकला और नक्काशी से परीपूर्ण बरामदों के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है।

इतिहास:
भक्तों ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार नीलकंठ मंदिर का निर्माण पंद्रहवीं सदी में कुंभलगढ़ किले के निर्माण के साथ ही हुआ था। इस मंदिर का निर्माण महाराणा कुंभा ने विक्रम संवत 1457 में कराया था। नीलकंठ महादेव का ये सुंदर मंदिर, कुंभलगढ़ किले के अंदर हनुमान पोल के दाहिनी तरफ स्थित है।

वास्तुकला:
भक्तों नीलकंठ मंदिर की वास्तुकला अद्भुत व अप्रतिम है। इस दो मंज़िले मंदिर का भवन, ऊंचे-ऊंचे स्तंभ, स्तंभों की नक्काशी और नक्काशीदार स्तम्भों वाले बरामदों को देखकर ऐसा लगता है, कि बस देखते ही रहें। क्योंकि ऐसे बरामदे वाले मंदिर बहुत ही कम हैं। नीलकंठ मंदिर के भवन में कुल 36 कलात्मक स्तंभ है। कहा जाता है कि महाराणा कुंभा स्वयं वास्तुशास्त्र के बड़े जानकार थे। उन्होने इस मंदिर की वास्तु संरचना अपन्ने निर्देश के अनुसार करवाई थी। महाराणा कुंभा के वास्तुज्ञान का प्रत्यक्ष प्रमाण है ये नीलकंठ मंदिर।

चार प्रवेशद्वार:
भक्तों नीलकंठ शिव मंदिर में चार प्रवेशद्वार हैं जो चारों दिशाओं में हैं। इस मंदिर का एक गर्भगृह और एक खुला मंडप है जिसके चारो तरफ नक्काशी किए हुये पाषाण स्तम्भ हैं।

गर्भगृह:
भक्तों नीलकंठ मंदिर के गर्भगृह की कलात्मकता अद्भुत है। मंदिर के गर्भगृह में काले पत्थर का विशाल शिवलिंग स्थापित है, जिसकी ऊंचाई छह फीट है। ये शिवलिंग, देश के विशालतम शिवलिंगों में गिना जाता है।

शिवभक्त महाराणा कुंभा:
भक्तों कहा जाता है कि महाराणा कुंभा भगवान शिव के परम भक्त थे और नीलकंठ महादेव उनके आराध्य देव थे। महाराणा नियमित इस मंदिर में आकर घंटों पूजा किया करते थे। राणा कुंभा इतने लम्बें थे कि जब वह प्रार्थना करने नीचे बैठते थे,तब उनकी आंखें शिवलिंग के समान स्तर पर होती थीं। कहा जाता है एक बार भगवान शिव की पूजा करते हुये उन्होने अपने पुत्र का सिर काटकर भगवान शिव को समर्पित कर दिया था। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने महाराणा कुंभा के पुत्र को जीवित कर दिया था।

दर्शन का समय:
भक्तों नीलकंठ मंदिर में आम श्रद्धालु और पर्यटक सुबह से शाम यानी सूर्योदय से सूर्यास्त तक दर्शन कर सकते हैं।

मंदिर की पूजा:
भक्तों नीलकंठ मंदिर में आज भी नियमित रूप से पूजा-अर्चना होती है। कुंभलगढ़ किले में आने वाले पर्यटक प्रायः इस मंदिर का दर्शन जरूर करते हैं।

मंदिर का पुनर्निर्माण:
भक्तों नीलकंठ मंदिर के पश्चिमी गेट के बाएं स्तंभ पर एक शिलालेख लगा हुआ है जो बताता है कि इस मंदिर का पुनर्निर्माण राणा सांगा द्वारा करवाया गया था।

आसपास दर्शनीय स्थल:
भक्तों यदि आप उदयपुर में नीलकंठ महादेव मंदिर कुंभलगढ़ यात्रा की तैयारी कर रहे है तो उदयपुर स्थित एकलिंगजी मंदिर, जगदीश मंदिर, अंबिका माता मंदिर और नीमच माता मंदिर जा के दर्शन पूजन का लाभ अवश्य लीजिये।

नजदीकी पर्यटन स्थल:
भक्तों अगर आप सैर सपाटे व घूमने फिरने में रुचि रखते हैं तो कुंभलगढ़ के नजदीक कुंभलगढ़ किला, चित्तौड़गढ़ किला, हल्दीघाटी सिटी पैलेस, बागोर की हवेली और सहेलियों की बाड़ी आदि प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल हैं। सिटी ऑफ लेक्स के नाम से मशहूर उदयपुर में, पिछोला झील, फ़तेह सागर झील, दुध तलाई झील, उदय सागर झील, जयसमंद झील, बड़ी झील और मीनार झील जैसी प्रसिद्ध और खूसूरत झीलें हैं, अहर म्यूज़ियम, विंटेज कार, क्रिस्टल गैलरी, वैक्स म्यूजियम, भारतीय लोक कलामंडल और म्यूजियम, गुलाब बाग और चिड़ियाघर, सुखाड़िया सर्किल, शिल्पग्राम, महाराणा प्रताप स्मारक, ताज लेक पैलेस और सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क आदि सैलानियों में लोकप्रिय हैं, जिन्हें आप अपनी उदयपुर की यात्रा के दौरान घूम सकते हैं।

कैसे पहुंचे:
भक्तों कुंभलगढ़ राजस्थान ही नहीं भारत के प्रमुख पर्यटनस्थलों में से एक है और भारत के सभी प्रमुख नगरों से वायु, रेल और सड़क मार्गों से भलीभाँति जुड़ा है अतः आप हवाई, ट्रेन या सड़क मार्ग में से किसी से भी यात्रा करके नीलकंठ महादेव मंदिर उदयपुर आसानी से जा सकते हैं।

भक्तों! अगर आप भी नीलकंठ महादेव के दर्शन पूजन और उनकी कृपा प्राप्त करने के इच्छुक हैं तो अपने बजट, क्षमता और सुविधा अनुसार यात्रा का शुभारंभ कीजिये। तो आज के इस एपिसोड में इतना ही... एक नए धाम की यात्रा में फिर मिलते हैं... नमस्कार...प्रणाम ॥इति शुभम॥

भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन !
🙏

इस कार्यक्रम के प्रत्येक एपिसोड में हम भक्तों को भारत के प्रसिद्ध एवं प्राचीन मंदिर, धाम या देवी-देवता के दर्शन तो करायेंगे ही, साथ ही उस मंदिर की महिमा उसके इतिहास और उसकी मान्यताओं से भी सन्मुख करायेंगे। तो देखना ना भूलें ज्ञान और भक्ति का अनोखा दिव्य दर्शन। 🙏

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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