झुंझनू स्तिथ रानी सती दादी मंदिर दर्शन | 4K | दर्शन 🙏
Credits:
संगीत एवम रिकॉर्डिंग - सूर्य राजकमल
लेखक - रमन द्विवेदी
भक्तों नमस्कार! प्रणाम! सादर नमन और अभिनन्दन...भक्तों अनगिनत मान्यताओं और असंख्य परम्पराओं वाला वीरभूमि, मरुभूमि,राजपूताना के नाम से विख्यात राजस्थान हमारे देश का मुकुटमणि है... जहां कई ऐसे मंदिर हैं जिनका इतिहास ही नहीं वर्तमान भी चमत्कारों से भरपूर है,हम अपने कार्यक्रम दर्शन के माध्यम से आपको राजस्थान के उन्ही प्रसिद्ध चमत्कारिक मंदिरों की यात्रा करवाने जा रहे हैं। इन्ही मंदिरों में शामिल है झुंझनू का राणी सती माता मंदिर.
मंदिर के बारे में:
भक्तों झुंझनू शहर के मध्य में स्थित राणी सती का 400 साल पुराना मंदिर जिले का सबसे बड़ा धार्मिक एवं पर्यटन स्थल हैं। दूर से देखने पर विशाल क्षेत्र में बना यह मंदिर एक राजमहल की तरह प्रतीत होता है। सम्पूर्ण मंदिर का निर्माण संगमरमर के पत्थरों की कटाई करके बनाया गया हैं। जिसकी दीवारों पर सुंदर पेंटिंग तथा मंदिर प्रांगण में जल विद्युत् के फव्वारे बने हुए हैं। यहाँ प्रत्येक शनिवार तथा रविवार के दिन मंदिर में विशेष भीड़ देखने को मिलती हैं।
दर्शन का समय:
भक्तों मंदिर सुबह 5 बजे से दोपहर एक बजे तक मुख्य मंदिर दर्शन के लिए खुला रहता हैं, शाम के समय 3 बजे से रात 10 बजे तक भक्त माताजी के दर्शन करते हैं। मुख्य कार्यालय सवेरे 9 बजे से सायंकाल 8 बजे तक खुला रहता हैं। इस मंदिर में प्रतिदिन दो बार पूजा होती हैं।
मंदिर प्रबंधन द्वारा सती प्रथा का विरोध:
भक्तों राणी सती मंदिर का प्रबंधन सती प्रथा का पूर्णतः विरोध करता है। इसके लिए मंदिर के गर्भगृह के बाहर और मंदिर परिसर में कई जगह बड़े बड़े अक्षरों में लिखा है- हम सती प्रथा का पूर्णतः विरोध करते हैं।
प्रवेश शुल्क:
भक्तों जो भी पर्यटक रानी सती मंदिर झुंझणू घूमने जाने वाले हैं हम उन्हें बता दे रानी सती मंदिर में प्रवेश और दर्शन के लिए कोई भी शुल्क नही है। अतः श्रद्धालु बिना किसी शुल्क रानी सती जी के दर्शन का लाभ ले सकते है।
आसपास दर्शनीय स्थल:
भक्तों यदि आप रानी सती मंदिर झुंझणू जा रहें हैं और पर्यटन में रुचिरखते हैं तो झुंझणू में रानी सती मंदिर के साथ साथ खेतड़ी पैलेस, लोहार्गल, मोदी और तिबरवाल हवेली भी जा सकते हैं।
यात्रा का अच्छा समय:
भक्तों वैसे तो आप साल के किसी भी समय रानी सती मंदिर झुंझणू जा सकते है लेकिन यदि हम रानी सती मंदिर झुंझणू घूमने जाने के लिए सबसे अच्छे समय की बात करें तो वह बारिश के बाद सर्दियों के समय माना जाता है। इस दौरान झुंझणू का मौसम काफी सुखद और यात्रा के अनुकूल होता है।
कहाँ ठहरें:
भक्तों बाहर से आने वाले यात्रियों के ठहरने के लिए मंदिर परिसर में ही विश्रामगृह, अतिथि गृह तथा धर्मशाला बने हुए हैं। जो 100 से 600 रूपये प्रतिदिन के किराये पर उपलब्ध हो जाते हैं मंदिर में एक भोजनालय तथा एक साउथ इंडियन कैंटीन है। यहाँ आने वाले भक्त दोपहर 11 बजे से 1 बजे के मध्य तथा रात को 8 बजे से 10 बजे के मध्य भोजन प्रसाद ग्रहण कर सकते हैं।
भक्तों! अगर आप भी रानी सती माता मंदिर पहुंचकर दर्शन पूजन करना चाहते हैं और रानी सती दादी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो अपने बजट, क्षमता और सुविधा अनुसार यात्रा का शुभारंभ कीजिये।
तो आज के इस एपिसोड में इतना ही... एक नए धाम की यात्रा में फिर मिलते हैं... नमस्कार...प्रणाम
॥इति शुभम॥
भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन ! 🙏
इस कार्यक्रम के प्रत्येक एपिसोड में हम भक्तों को भारत के प्रसिद्ध एवं प्राचीन मंदिर, धाम या देवी-देवता के दर्शन तो करायेंगे ही, साथ ही उस मंदिर की महिमा उसके इतिहास और उसकी मान्यताओं से भी सन्मुख करायेंगे। तो देखना ना भूलें ज्ञान और भक्ति का अनोखा दिव्य दर्शन। 🙏
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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