प्राचीन तथा प्रसिद्ध काली बाँह शक्तिपीठ मंदिर दर्शन | 4K | दर्शन 🙏
श्रेय:
संगीत एवम रिकॉर्डिंग - सूर्य राजकमल
लेखक - रमन द्विवेदी
भक्तों नमस्कार! प्रणाम! और बहुत बहुत अभिनन्दन है हमारे अनोखे यात्रा कार्यक्रम में आज हम आपको अपने लोकप्रिय कार्यक्रम दर्शन के माध्यम से जिस मंदिर की यात्रा करवाने जा रहे हैं उस मंदिर में आज भी सर्वप्रथम पूजा महाभारत के अमर पात्र तथा आचार्य द्रोण के पुत्र अश्वत्थामा करते हैं। भक्तों हम बात कर रहे हैं ईष्टिकापूरी अर्थात इटावा स्थित काली बांह मंदिर की।
मंदिर के बारे में:
भक्तों काली बांह मंदिर इटावा मुख्यालय से लगभग 5 किलोमीटर दूर इटावा-ग्वालियर मार्ग पर यमुना नदी के किनारे स्थित है। इटावा के गजेटियर में काली भवन नाम से उल्लेखित इस मंदिर को लोग कालीवाहन के नाम से भी जानते हैं।
आरती पूजा:
भक्तों काली बांह मंदिर में प्रतिदिन 4 आरतियाँ होती हैं प्रथम आरती ब्रह्म बेला में तड़के 3 बजे, दूसरी आरती प्रातः 6 बजे, दोपहर 12 बजे भोग आरती तथा अंतिम आरती रात 9 होती है। काली बांह मंदिर की आरती का दृश्य बड़ा मनोहर और विहंगम होता है। विशेषकर रात्री को होनेवाली आरती भक्तों का मन मुग्ध कर देती है। इस दौरान ढोल नगाड़े शंख और घड़ियाल के अनहद नाद मंदिर में उपस्थित यात्रियों, श्रद्धालुओं और भक्तों के रोम रोम को आह्लादित और भाव विभोर कर देता है। इस मंदिर में सायंकालीन आरती का दर्शन भक्तों को दिव्य आत्मानुभूति करवाता है संध्याकालीन आरती का दर्शन करने के खचाखच भरे भक्तों की भीड़ देखते ही बनती है। भक्तों यदि आप को काली बांह मंदिर दर्शनार्थ जाने का सौभाग्य प्राप्त होता है तो आप काली बांह के मंदिर में होनेवाली आरती का दर्शन अवश्य कीजिये। क्योंकि मान्यता है कि काली बांह मंदिर में नियमित दर्शन करने वाले भक्तों के जीवन की समस्त परेशानियां समाप्त हो जाती है। यही वजह है कि दूरदराज से भक्त मां भगवती के दर्शन करने के लिए आते हैं।
दर्शन का समय:
भक्तों काली बांह मंदिर प्रातः 6 बजे से दोपहर 2 बजे तक तथा सायं 4 बजे से रात्री 10 बजे तक भक्तों के दर्शनार्थ खुला रहता है। ग्रीष्म व् शारदीय नवरात्रों के दौरान भक्तों के दर्शन करने का सिलसिला तड़के 3 बजे से रात 11 बजे तक अनवरत चलता रहता है।
सबसे अच्छा समय:
भक्तों अगर आप काली बांह मंदिर की यात्रा के बारे में विचार कर रहे हैं तो आप यहाँ की यात्रा किसी भी समय कर सकते हैं किन्तु यदि कहीं दूर दराज से इस मंदिर के दर्शनार्थ जा रहे हैं तो आप के लिए सर्वोत्तम समय फरवरी से अप्रैल का समय होगा।
नजदीकी दर्शनीय स्थल:
भक्तों अगर आप काली बांह मंदिर का दर्शन करने इटावा जा रहे हैं और घूमने फिरने तथा सैर सपाटा के शौक़ीन हैं तो इटावा सफारी पार्क, राजा सुमेर सिंह का किला, कंपनी गार्डन, नीलकंठ मंदिर, पक्का तालाब, तक्सी मंदिर, पिलुआ हनुमान मंदिर, कचौर घाट तथा ब्राह्मणी देवी मंदिर आदि जाना न भूलें।
कैसे पहुंचें:
भक्तों अगर आप इटावा काली बांह मंदिर की यात्रा का मन बनाया हुआ है तो बता दें आप वायु, रेल तथा सड़क किसी भी मार्ग से इटावा काली बांह मंदिर पहुंच सकते हैं।
भक्तों! अगर आप इटावा पहुँचकर काली बांह मंदिर में दर्शन पूजन करने की इच्छा रखते हैं तो अपने बजट, क्षमता और सुविधा के अनुसार यात्रा का शुभारंभ कीजिये। तो आज के इस एपिसोड में इतना ही, एक नए धाम की यात्रा में फिर मिलते हैं। नमस्कार..प्रणाम
॥इति शुभम॥
भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन ! 🙏
इस कार्यक्रम के प्रत्येक एपिसोड में हम भक्तों को भारत के प्रसिद्ध एवं प्राचीन मंदिर, धाम या देवी-देवता के दर्शन तो करायेंगे ही, साथ ही उस मंदिर की महिमा उसके इतिहास और उसकी मान्यताओं से भी सन्मुख करायेंगे। तो देखना ना भूलें ज्ञान और भक्ति का अनोखा दिव्य दर्शन। 🙏
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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