एक गर्मी की रात जंगल में एक चालाक बूढ़ा शेर रहता था। उसका नाम बिरबल था। वह शेरों के बादशाह अकबर के सबसे निकटी सलाहकार था। वह बहुत ही चतुर और विचारशील था। जंगल के सभी जानवर उसकी चाल-धड़क से डरते थे और उसे सम्मान से देखते थे।
एक दिन, जंगल के अन्य सभी जानवर बिरबल से अपनी समस्याओं का समाधान पूछने आए। एक जानवर ने कहा, "बिरबल जी, हमारे बीच में एक ताकतवर भैंस है, जो हमें दिन-रात तंग करती है। कृपया हमें उससे छुटकारा दिलाएं।"
बिरबल ने सभी जानवरों को ध्यान से सुना और फिर बोले, "मैं आपकी मदद करूँगा, परन्तु उसके लिए आपको मेरे कहने का पूरा अनुसरण करना होगा।"
अगले दिन, बिरबल ने सभी जानवरों को एक बड़ी सी खाली जगह पर इकट्ठा करवाया और उन्हें एक बड़े से पेड़ के नीचे खड़ा कर दिया। फिर बिरबल ने एक बड़े से बटख से एक बड़ा सा कटोरा भर दिया। उसमें से दूध बरसा रहा था।
बिरबल ने सभी जानवरों को कहा, "आपको इस पेड़ के नीचे खड़े होकर इंतजार करना होगा। जब वह भैंस आएगी, तो तुम्हें जो भी कहूँ, वह वही करना।"
कुछ समय बाद, भैंस वहां आ पहुंची। उसने देखा कि इंजन जानवर एकत्र होकर अंदर से कुछ निकाल रहे हैं। वह भी उतावले होकर दौड़ी और उनके पास पहुंची।
बिरबल ने भैंस को देखते हुए उसे ध्यान से समझा और फिर कहा, "देखो भैंस जी, हम यहां सभी मिलकर आपका स्वागत करने आए हैं। हम आपके शौक पूरे करने के लिए दूध के बरसाते हैं।"
भैंस ने खुशी-खुशी दूध पीना शुरू कर दिया। जैसे ही उसकी भैंस आई वह ने उसे जीत लिया। सभी जानवर खुशी से जाहिर करने लगे।
इस तरह, बिरबल ने एक चालाक योजना बनाई और भैंस को फुसलाया गया। भैंस की चतुराई से सभी जानवर खुश हुए और बिरबल की मदद से जंगल में खुशहाली बढ़ गई।