Shree Hanuman Chalisa | Hanuman Bhajan | Suresh Wadkar | Bijender Chauhan | Tilak
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Credits:
Singer - Suresh Wadkar
Lyrics - Traditional
Composer - Bijender Chauhan
Lyrics:
दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज निजमनु मुकुरु
सुधारि|
बरनठँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल
चारि।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरों पवन-कुमार|
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस
बिकार II
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर|
जय कपीस तिहुं लोक उजागर |।
रामदूत अतुलित बल धामा|
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा ||
महावीर विक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन वरन विराज सुवेसा।
कानन कुण्डल कुंचित केसा ।।
हाथ बज़् औध्वजा बिराजे |
काँIधे मुंज जनेऊ साजे ।
शंकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग वन्दन।।
विद्यावान गुणी अति चातुर
राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रप धरि सियहिं दिखावा |
विकट रूप धरि लंक जरावा|।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे ||
लाय सजीवन लखन जियाये
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतही सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावें।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावें।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीशा |
नारद सारद सहित अहीसा ||
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कवि कोविद कहि सके कहां ते। |
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा |
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र विभीषन माना |
लंकेश्वर भये सब जग जाना ||
जुग सहस्र योजन पर भानू]
लील्यो ताहि मधुर फल जानू| |
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं| |
दुर्गम काज जगतके जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते। |
राम दुआरे तुम रखवारे I
होत न आज्ञा बिनु पैसारे
सब सुख लहे तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डरना ||
आपन तेज सम्हारो आपे
तीनों लोक हांक तें कांपै
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावे
नासै रोग हरे सब पीरा I
जपत निरंतर हनुमत बीरा II
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम वचन ध्यान जो लावे II
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिनके काज सकल तुम साजा II
और मनोरथ जो कोई लावे I
सोई अमित जीवन फल पावै II
चारों युग परताप तुम्हारा ।
है परसिद्ध जगत उजियारा II
साधु-संत के तुम रखवारे I
असुर निकंदन राम दुलारे ||
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस वर दीन जानकी माता ||
राम रसायन तुम्हरे पासा I
सदा रहो रघुपति के दासा II
तुम्हरे भजन राम को भावै ।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
अन्त काल रघुबर पुर जाई I
जहा जन्म हरि-भक्त कहाई II
और देवता चित्त न धरई|
हनुमत सेई सर्व सुख करई|।
संकट कटे मिटे सब पीरा I
जो सुमिरे हनुमत बलबीरा II
जै जै जै हनुमान गोसाई|
कृपा करहु गुरुदेव की नाई। |
जो सत बार पाठ कर कोई |
छूटहिं बंदि महा सुख होई।।
जो यह पढे हनुमान चालीसा |
होय सिद्धि साखी गौरीसा
तुलसीदास सदा हरि चेरा |
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा
दोहा
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।
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