कांधे पर दो वीर बिठाकर चले वीर हनुमान | आप दोनों मेरे कंधों पर विराजमान हो जाइए | रामायण | गीत संवाद
भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन दो भगवान!
Watch the video song of ''Darshan Do Bhagwaan'' here - https://youtu.be/j7EQePGkak0
संगीत मन के भावों की अभिव्यक्ति करने का सशक्त माध्यम होता है। जो बात गद्य के माध्यम से मानस तक नहीं पहुँचायी जा सकती है, वह कार्य पद्य कुशलता से कर देता है। यही कारण है कि जब ब्रह्मा जी ने राम कथा को लिपिबद्ध करने का दायित्व महर्षि वाल्मीकि को सौंपा तो पहले एक हंस-हंसिनी के जोड़े का मार्मिक विरह दृश्य प्रस्तुत कर, उनके मन में करुणा भाव जागृत किया और फिर वाल्मीकि ने बहेलिये को श्राप देते समय संसार के प्रथम छन्द की रचना कर दी। युग बदला तो भाषा भी बदली और बदली भाषा में राम कथा घर-घर पहुँचाने के लिये गोस्वामी तुलसीदास ने अवधी दोहों में रामचरित मानस की रचना की। समय के साथ लिपि का स्थान चलचित्रों ने लिया और श्री राम कथा को चलचित्र के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाने के लिए रामानंद सागर ने महान धारावाहिक रामायण का निर्माण किया। जिसके प्रसंगो को रविन्द्र जैन ने मधुर गीत-संगीत से लयवद्ध कर भावों की अभिव्यक्ति को आनन्दमय बना दिया। “तिलक” अपने इस नये संकलन “गीत-संवाद” में रामायण के अनेक काव्यबद्ध प्रसंगों को आपके समक्ष प्रस्तुत करेगा। भक्ति भाव से इनका आनन्द लीजिये और तिलक से जुड़े रहिये।
""गीत-संवाद का इस प्रसंग में सुग्रीव के मंत्री हनुमान श्रीराम से अपने राजा सुग्रीव के मित्रता करने के लिए ऋष्यमूक पर्वत पर वायुमार्ग से चलने के लिए कहते है। वायुमार्ग सुन कर जब लक्ष्मण प्रश्न करते है तब हनुमान अपना शरीर विशाल कर लेते है। गीत-संवाद के माध्यम से हनुमान जी का अपना शरीर विशाल कर अपने कंधे पर श्रीराम और लक्ष्मण को बिठा कर वायु मार्ग से ऋष्यमूक पर्वत पर ले जाने का सुन्दर वर्णन किया गया है।
दुर्गम पर्वत मार्ग पे
निज सेवक के संग आइए स्वामी
भक्त के कांधे पे आन विराजिये
भक्त का मान बढ़ाइए स्वामी""
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