पाण्डवों ने दुर्योधन से माँगा अपना राज्य वापस | महाभारत एक धर्म युद्ध
भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन दो भगवान!
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जब यह सब बात राजा को पता चलती है तो वह हैरान हो जाता है। राजा पांडवों को सादर सहित उनका अभिनंदन करता है। श्री कृष्ण अभिमन्यु को अपने साथ लेकर वहाँ आ जाते हैं। श्री कृष्ण पांडव और राजा विराट एक साथ बैठ कर वार्ता करते हैं। राजा विराट अपनी पुत्री का विवाह अर्जुन से करने का आग्रह करते हैं। अर्जुन विवाह के लिए मना कर देता है। अर्जुन कहता है की मैं उसका गुरु हूँ और गुरु पिता समान हूँ इसलिए हमारा विवाह नहीं हो सकता। श्री कृष्ण राजकुमारी का उत्तरा का विवाह अर्जुन पुत्र अभिमन्यु के साथ करने का प्रस्ताव रखते हैं जिसे सभी माँ लेते हैं। अभिमन्यु के विवाह का समाचार दुर्योधन को भी भेजा जाता है। दुर्योधन की पांडवों से घृणा अभी तक ख़त्म नहीं हुई थी गांधारी दुर्योधन को समझाती है कि पांडवों को उनका राज्य वापस उन्हें देना होगा जिसे दुर्योधन नहीं मानता। दुर्योधन अपने राज्य को वापस ना देने के लिए पांडवों से युद्ध करने की ठान लेता है। पांचाल नरेश द्रुपद पांडवों को अपनी सेना दे देता है। राजा विराट भी अपना समर्थन राजा युधिष्ठिर को दे देता है। सभी युधिष्ठिर से युद्ध शुरू करने की बात करते हैं। श्री कृष्ण युद्ध को टालने के लिए कहते हैं। अभिमन्यु के विवाह के बाद अपनी माँग को लेकर दूत को हस्तिनापुर भेजा जाता है। पांडवों की माँग पर दुर्योधन उन्हें इंद्रप्रस्थ वापस ना देने के लिए अड़ जाता है। गांधारी फिर से दुर्योधन को समझाती है लेकिन फिर भी वह नहीं मानता।
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