सुग्रीव का राज्याभिषेक | अंगद बने युवराज | भोग विलास में डूबे सुग्रीव | रामायण | दिव्य कथाएँ
भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन दो भगवान!
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बालि के अन्तिम संस्कार के पश्चात किष्किंधा के राजमहल में अभिनन्दन गीतों और मंत्रोत्चार के मध्य सुग्रीव का विधिवत राज्याभिषेक लक्ष्मण द्वारा सुग्रीव को राजमुकुट पहना किया जाता है। राज्याभिषेक के पश्चात सुग्रीव अपना राजमुकुट ऋष्यमूक पर्वत की गुफा में बैठे राम के चरणों में रख आभार व्यक्त करते हैं। श्रीराम सुग्रीव को प्रजा कल्याण के लिए और राज्य को फूट से बचाने के लिए बालि के मित्रों और राज्य के समृद्धशाली बनाने का सहयोग लेने का सुझाव देते है। सुग्रीव और उनके मंत्रीगण माता सीता की खोज यथाशीघ्र प्रारम्भ करने के लिए श्रीराम से मंत्रणा करते है। इस पर श्रीराम सुझाव देते है कि वर्षा ऋतु में वानरों के लिये यह कार्य दुष्कर होगा, इसलिए चतुर्मास बीतने के उपरान्त सीता की खोज प्रारम्भ की जाए। इन चार मास के बीतने के बाद भी सुग्रीव अपने राजमहल में भोग-विलास में डूबे रहने पर हनुमान और जामवन्त चिन्तित हो जाते है कि सुग्रीव को रामकाज की याद भी नहीं है। सुग्रीव के इस तरह अपने वचन के पालन न करने श्रीराम और लक्ष्मण भी क्रोधित हो जाते है और श्रीराम सुग्रीव से इस विषय में बात करने के लिए लक्ष्मण को किष्किंधा राजमहल भेजते हैं जहाँ पर सुग्रीव नृतकियों के नृत्य देखने और मदिरापान में मग्न है।
संसार में मनुष्य को धर्म के अनुरुप मर्यादित जीवन जीने की शिक्षा देने के लिए युगों से विभिन्न कथाओं के माध्यम से शिक्षित करने का प्रयास किया गया है। सनातन धर्म में कथाओं को विशेष महत्व है और मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु तक हर अवसर के लिए कथा, हर पूजा-विधान के लिए कथा। इन कथाओं को सुनने व अनुसरण करने से मानव के सामाजिक जीवन में विशेष प्रभाव पड़ता है और रामायण और भगवत् गीता जैसे महान ग्रंथो (कथाओं) में मानव जीवन का सार छुपा है। यह दिव्य कथाएं धार्मिक, सांस्कृतिक और मानवीय मूल्यों से परिचय करा मनुष्य को सामाजिक जीवन जीने के कला को निपुण बनाने का कार्य करने के साथ प्रेरणा का कार्य करती है। “तिलक” अपने इस नये संकलन “दिव्य कथाएं” में सर्वप्रथम रामायण से जुड़े प्रसंगों को आपके समक्ष प्रस्तुत करेगा। भक्ति भाव से इनका आनन्द लीजिये और तिलक से जुड़े रहिये।
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