अर्जुन ने पाया महादेव से पाशुप्तास्त्र | महाभारत एक धर्म युद्ध
भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन दो भगवान!
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श्री कृष्ण महादेव से प्रार्थना करते हैं की अर्जुन को भविष्य में होने वाले युद्ध में आपका आशीर्वाद मिल जाए और आप उसके गुरु बन जाए। महादेव श्री कृष्ण को कहते हैं की अर्जुन को शिष्य बनाने से पहले मैं उसकी परीक्षा लूँगा की वह मेरा शिष्य बनने के योग्य है भी या नहीं। शिव के शिकारी का भेष लेकर पृथ्वी लोक पर जाते हैं। अर्जुन और शिव दोनो एक वराह पर एक साथ बाण चलते हैं और दोनो एक दूसरे को कहते हैं की वह शिकार मेरा है। शिकार का निर्णय करने के लिए दोनों में द्वन्द युद्ध शुरू हो जाता है महादेव अर्जुन को युद्ध में हरा देते हैं। अर्जुन युद्ध को रोक कर पहले शिव की पूजा करने की अनुमति माँगता है जिस पर महादेव उसे आज्ञा दे देते हैं। अर्जुन शिव लिंग का निर्माण कर उनकी पूजा शुरू कर देते है। जब अर्जुन शिवलिंग पर पुष्प डालता है और उनसे शिकारी को हराने के लिए शक्ति माँगता है और तो वह पुष्प महादेव के ऊपर जाकर गिरते हैं। अर्जुन ये देख हैरान होता है। जब अर्जुन शिकारी के साथ अपने शिकार को लेकर द्वन्द युद्ध करता है तो वह जब हारने वाला होता है तो अर्जुन शिव पूजा करता है जब जब वह शिवलिंग पर पुष्प चढ़ाता वैसे वैसे पुष्प शिकारी के चरणों में जाकर गिरते। श्री कृष्ण वहाँ आकर अर्जुन कोई बताते हैं की ये शिकारी महादेव हैं। अर्जुन महादेव से अपने रूप के दर्शन देने को कहता है। महादेव अर्जुन को दर्शन देते हैं। महादेव अर्जुन से प्रसन्न हो कर अर्जुन की इच्छा से उसे पाशुपास्त्र की दीक्षा और अस्त्र प्रदान करने को कहता है महादेव अर्जुन की इच्छा पूरी कर देते हैं।
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