भारत उत्सव। गुरु पूर्णिमा। तिलक प्रस्तुति। तरुण राठी
तिलक की नवीन प्रस्तुति 'भारत उत्सव' - तरुण राठी के संग। अपने सभी त्योहारों के बारे में पूरी जानकारी के लिए – और एक अलग रंग में हमारे साथ हर त्योहार मनाने के लिए - देखते रहिए …..हमारे महान हिंदू धर्म व सनातन सभ्यता से जुड़े, त्योहारों की इस शृंखला को।
गुरु पूर्णिमा क्यों, कब, कैसे ओर कहाँ कहाँ मनाई जाती है? इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण क्या ?
क्या आप जानते हैं? वो कौन है, जिसे दुनिया में संतों ने भगवान के बराबर दर्जा दिया है? जिस परंपरा का निर्वाह धरती पर अवतार लेने वाले भगवान ने भी किया है ? शास्त्रों मेंअंधकार को उजाले में बदलने
वाला किसे कहा गया है ? वो कोन सा त्योहार है? जिस के बिना जन्म जन्मांतर के बंधन सेमुक्ति संभव ही नहीं है? ऐसी कौन सी हस्ती है ? जिसके नाम पर आषाढ़ पूर्णिमा एक दिव्य और भव्य त्योहार में बदल गई है ?
आज हम गुरु के मान, सम्मान से जुड़े त्योहार गुरु पूर्णिमा की बात करेंग़े।
इस दिन मीमांसा, ब्रह्मसूत्र, महाभारत, श्रीमद्भागवत, और वेदों व पुराण जैसे अद्भुत साहित्यों की रचना
करनेवाले महान गुरु महर्षि वेदव्यास जी का जन्म ३००० ईसा पूर्व हुआ था। महर्षि कृष्णद्वैपायन वेदव्यास महर्षि पराशर और माता सत्यवती के पुत्र थे। शास्त्रों के अनुसार महर्षि वेद व्यास को ही तीनों कालों का ज्ञाता माना जाता है। मान्यता है कि अट्ठाईस बार वेदों का विभाजन हुआ था। ऐसा भी माना जाता है, कि “वेद व्यास” नाम वास्तविक नाम केबजाय एक शीर्षक है, क्योंकि कृष्ण द्वैपायन ने वेदों को अलग-अलग खण्डों मेंबांटकर उनका नाम ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद रखा। वेदों का इस प्रकार विभाजन करनेके कारण ही वो वेद व्यास के नाम से प्रसिद्ध हुए।
Written, Created & Presented by Tarun Rathi
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