
रामानंद सागर कृत श्री कृष्ण भाग 30 - भक्त कवि सूरदास के पूर्व-जन्म की कथा एवं कृष्ण का महारास
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बजरंग बाण | पाठ करै बजरंग बाण की हनुमत रक्षा करै प्राण की | जय श्री हनुमान | तिलक प्रस्तुति 🙏 भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद।
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Ramanand Sagar's Shree Krishna Episode 30 - The story of the pre-birth of the devotee poet Surdas and the Maharas of Krishna
अक्रूर ऋषि गर्ग के आश्रम में जाते हैं और बलराम व कृष्ण की शिक्षा-दीक्षा की व्यवस्था का अनुरोध करते हैं। ऋषि गर्ग उन्हें कृष्ण की मुरली में समस्त ज्ञान निहित होने का संकेत देते हैं। वह कहते हैं कि अभी अधर्म का नाश होने में अभी समय हैं, तब तक कृष्ण संसार को प्रेम करना सिखायेंगे और उन्हें ऐसा करने दो। इस वार्तालाप के बीच आश्रम में कृष्ण भक्ति रस में डूबे स्वर गूँजते हैं। एक शिष्य आकर ऋषि गर्ग को सूचना देते हैं कि एक नेत्रहीन कवि आश्रम के द्वार पर आया है और उनसे मिलना चाहता है। ऋषि गर्ग उन्हें सादर अन्दर बुलाते हैं। यह नेत्रहीन कवि कोई और नहीं, कलियुग में जन्मे भक्त शिरोमणि कवि सूरदास का पूर्व जन्म था। नेत्रहीन कवि कहते हैं कि उन्होंने सुना है कि उनके प्रभु ने कृष्ण रूप में धरती पर अवतार लिया है। वह ऋषि गर्ग से निवेदन करते हैं कि वे उन्हें कुछ देर के लिये नेत्र ज्योति प्रदान कर दें ताकि वह अपने प्रभु के दर्शन कर सकें। भले ही इसके बाद वे उन्हें पुनः जीवन भर के लिये अन्धा कर दें। इस पर ऋषि कवि से पूछते हैं कि क्या आपको श्री कृष्ण के मन में दर्शन नहीं होते हैं तो कवि स्वीकार करता है कि उसे अन्तर्मन में श्रीकृष्ण की सभी चमत्कारपूर्ण बाल लीलाऐं दिखायी पड़ती हैं। इस पर ऋषि सूरदास से कहते हैं कि भगवान के इस रूप के दर्शन बडे़-बड़े ऋषियों मुनियों को हजारों वर्ष की तपस्या के बाद भी नहीं होते हैं, जिसे वह सहज रूप से देख पा रहे हैं। ऋषि कहते हैं कि यदि उनके नेत्रों में प्रकाश आ गया तो वह माया के जाल में फँस जायेंगे और उन्हें प्रभु के वास्तविक दर्शन होना बन्द हो जायेंगे। इसके बाद सूरदास ऋषि से निवेदन करते हैं कि वह अपनी ज्योतिष विद्या से उनका भविष्य बता दें। ऋषि ध्यानमग्न होते हैं और बताते हैं कि उनका कलियुग में पुनर्जन्म होगा और जब भक्ति का हृस होगा, तब वह अपने दिव्य चक्षुओं से कृष्ण लीलाओं का दर्शन करके उनका गुणगान करेंगे और कलियुग में लोगों को भक्ति का मार्ग दिखायेंगे। इसके बाद उन्हें मोक्ष प्राप्त होगा। सूरदास विदा लेते हैं। इसके बाद ऋषि अक्रूर से कहते हैं कि जल्दी ही उन्हें भी प्रभु की विशेष कृपा प्राप्त होगी। उधर ब्रज में गोपियाँ माँ गौरी की पूजा करती है ताकि उन्हें अपनी पसंद का पति मिल सके और वो सभी मन ही मन श्री कृष्ण को ही पति के रूप में पाना चाहती हैं। माता गौरी गोपियों के व्रत और पूजा से प्रसन्न होकर प्रकट होती हैं और वरदान माँगने को कहती हैं। गोपियां मनवाछिंत पति का वरदान माँगती है। माता गौरी राधा से कहती हैं कि वह तो कृष्णप्रिया हैं। वह केवल लोकशिक्षा और नारी कल्याण के लिये यह व्रत धारण कर रही हैं। माता गौरी कहती हैं कि राधा तो कृष्ण की अर्धांगिनी हैं तो आप साधारण मानव कैसे हो सकती हैं। इन गोपिकाओं में भी आपका ही रूप है इसलिये इन सबके मन में भी कृष्ण के प्रति प्रेम है। देवी होने के बावजूद आपने मेरा व्रत रखा है तो मैं देव मर्यादा के अनुरूप आपको वरदान देती हूँ कि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में वृन्दावन के रास मण्डल में इन समस्त गोपिकाओं के साथ आपकी श्रीकृष्ण रास लीला सानन्द सम्पन्न होगी। देवी अन्तर्धान होती हैं। इसके बाद राधा समेत हर गोपी तीन मास व्यतीत होने का बेसब्री से प्रतीक्षा करती हैं। उन्हें मधुमास आने की अवधि युगों समान लगती है। सभी गोपियाँ एक दूसरे से मिलती जरूर हैं लेकिन अपने तन की बात छिपाये रहती हैं क्योंकि उन्हें ऐसा लगता था कि कृष्णसंग रास रचाने का वरदान केवल उन्हें प्राप्त हुआ है। आखिरकार मधुमास की वो चन्द्ररात्रि भी आती है जिसका वे सब तीन मास से प्रतीक्षा कर रही थीं। कृष्ण की मुरली की तान सबको सुनायी पड़ती है। हर गोपी रासमण्डल की ओर खिंची चली आती है। रासमण्डल में राधा है तो अनेक गोपियाँ भी हैं, किन्तु श्रीकृष्ण ऐसा भ्रम उत्पन्न करते हैं कि हर किसी को लगता है कि कृष्ण केवल उनके साथ नृत्य कर रहे हैं। महारास का यह परमानन्द दृश्य देखकर कैलाश पर्वत पर बैठे महादेव भी चमत्कृत हैं तो आकाश में माँ सरस्वती की वीणा पर सरगम भी नृतकियों का रूप धर नृत्य करने लगती है।
Produced - Ramanand Sagar / Subhash Sagar / Pren Sagar
निर्माता - रामानन्द सागर / सुभाष सागर / प्रेम सागर
Directed - Ramanand Sagar / Aanand Sagar / Moti Sagar
निर्देशक - रामानन्द सागर / आनंद सागर / मोती सागर
Chief Asst. Director - Yogee Yogindar
मुख्य सहायक निर्देशक - योगी योगिंदर
Asst. Directors - Rajendra Shukla / Sridhar Jetty / Jyoti Sagar
सहायक निर्देशक - राजेंद्र शुक्ला / सरिधर जेटी / ज्योति सागर
Screenplay & Dialogues - Ramanand Sagar
पटकथा और संवाद - संगीत - रामानन्द सागर
Camera - Avinash Satoskar
कैमरा - अविनाश सतोसकर
Music - Ravindra Jain
संगीत - रविंद्र जैन
Lyrics - Ravindra Jain
गीत - रविंद्र जैन
Playback Singers - Suresh Wadkar / Hemlata / Ravindra Jain / Arvinder Singh / Sushil
पार्श्व गायक - सुरेश वाडकर / हेमलता / रविंद्र जैन / अरविन्दर सिंह / सुशील
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