इटावा में स्तिथ काली वाँह सिद्धपीठ दर्शन- यहाँ गिरी थी माता सती की बाँह | 4K | दर्शन 🙏
श्रेय:
संगीत एवम रिकॉर्डिंग - सूर्य राजकमल
लेखक - रमन द्विवेदी
भक्तों नमस्कार! प्रणाम! और बहुत बहुत अभिनन्दन है हमारे अनोखे यात्रा कार्यक्रम में आज हम आपको अपने लोकप्रिय कार्यक्रम दर्शन के माध्यम से जिस मंदिर की यात्रा करवाने जा रहे हैं उस मंदिर में आज भी सर्वप्रथम पूजा महाभारत के अमर पात्र तथा आचार्य द्रोण के पुत्र अश्वत्थामा करते हैं। भक्तों हम बात कर रहे हैं ईष्टिकापूरी अर्थात इटावा स्थित काली बांह मंदिर की।
मंदिर के बारे में:
भक्तों काली बांह मंदिर इटावा मुख्यालय से लगभग 5 किलोमीटर दूर इटावा-ग्वालियर मार्ग पर यमुना नदी के किनारे स्थित है। इटावा के गजेटियर में काली भवन नाम से उल्लेखित इस मंदिर को लोग कालीवाहन के नाम से भी जानते हैं। यह मंदिर देवी भक्तों की आस्था का प्रमुख केन्द्र है। जब तड़के इस मंदिर का गर्भगृह खोला जाता है। तब मंदिर के भीतर मूर्तियों के पास ताजे फूल मिलते हैं। इससे यह सिद्ध होता है कि मंदिर में कोई न कोई अदृश्य रूप में आकर पूजा करता है। कहा जाता है कि वो अदृश्य पुजारी कोई और नहीं बल्कि महाभारत के अमर पात्र अश्वश्थामा हैं।
पौराणिक कथा:
भक्तों! पुराणों के अनुसार- भगवान शिव का विवाह माता सती से हुआ था माता सती के पिता का नाम राजा दक्ष था वो अपने जामाता (दामाद) भगवान शिव को अपने बराबर का नहीं मानता था। इसलिए जब दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया तो उन्होंने भगवान शिव और माता सती को निमंत्रण नहीं भेजा। यह जानकर माता सती को बहुत क्रोध आया। उन्होंने अपने पिता के पास जाकर इस अपमान का कारण पूछने हेतु भगवान शिव से आज्ञा मांगी। किन्तु भगवान शिव ने उन्हें वहां जाने से मना कर दिया। किन्तु माता सती के बार बार आग्रह करने पर शिव जी ने उन्हें जाने की अनुमति दे दी। जब सती बिना बुलाए यज्ञस्थल में पहुंची तो उनके पिता दक्ष ने उन्हें अपमानित करते हुए भगवान शिव को भी भला बुरा कहा। जिसे माता सती सहन नहीं कर पाई और उन्होंने यज्ञकुंड में कूद कर आत्मदाह कर लिया। इससे भगवान शिव को बहुत क्रोध आया और उन्होंने यज्ञकुंड से माता सती के शव को निकालकर चारों ओर तांडव करने लगे। जिससे महाप्रलय की स्थिति उत्पन्न हो गयी और समूचे ब्रह्मांड में हाहाकार मच गया। तब सभी लोग भगवान विष्णु के पास भागे। भगवान विष्णु ने भगवान् शिव को शांत करने के उद्देश्य से अपने सुदर्शन चक्र द्वारा माता सती के शव को 51टुकड़ों में विभक्त कर दिया। ये टुकड़े जहाँ जहाँ गिरे वहां वहां शक्तिपीठ बन गए। मान्यता है कि इटावा के कालीबांह धाम में माता सती की बांह गिरी थी।
भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन ! 🙏
इस कार्यक्रम के प्रत्येक एपिसोड में हम भक्तों को भारत के प्रसिद्ध एवं प्राचीन मंदिर, धाम या देवी-देवता के दर्शन तो करायेंगे ही, साथ ही उस मंदिर की महिमा उसके इतिहास और उसकी मान्यताओं से भी सन्मुख करायेंगे। तो देखना ना भूलें ज्ञान और भक्ति का अनोखा दिव्य दर्शन। 🙏
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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