पिता का दाह संस्कार उनके पुत्रों के बिना करना उचित नहीं | Ramayan Samvad | रामायण संवाद
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श्री हनुमानाष्टक आदित्य गढ़वी के भावयुक्त स्वर में। संकटमोचन हनुमानाष्टक की संरचना गोस्वामी तुलसीदास ने की थी. माना जाता है कि संकटमोचन हनुमानाष्टक का पाठ करने से व्यक्ति अपनी हर बाधा और पीड़ा से मुक्त हो जाता है और उसके सभी संकट दूर हो जाते हैं।
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राजा दशरथ की मृत्यु के बाद सभी मंत्री गण ऋषि वशिष्ठ जी से पूछते हैं की क्या राजा के शव का दहसंकार हेम कर देना चाहिए क्योंकि उनके चारों पुत्र अयोध्य से बाहर हैं, इस पर वशिष्ठ जी कहते हैं कि राजा जैसे पुण्य आत्मा के दाहसंस्कार और पिंड दान से उनके पुत्रों को वंचित रखना उचित नहीं है, राम और लक्ष्मण अपने पिता की आज्ञा को पूर्ण करने के लिए वनवास में हैं लेकिन भरत और शत्रुघ्न अपने नाना के घर गये हैं उन्हें शीघ्र अयोध्या बुलाया जाए।
रामायण संवाद ~ तिलक की इस विशेष शृंखला में हमें श्री रामानंद सागर कृत् 'रामायण' धारावाहिक की वे चुनिंदा संवाद देखने को मिलते हैं जिनसे हमें प्रेरणा एवं उच्च आचरण के अनमोल ज्ञान की प्राप्ति होती है 🙏
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