आरम्भ हुआ सागर मंथन | दानवों और देवताओं को एक साथ देख मन प्रसन्न हो गया | जय महालक्ष्मी | गीत संवाद
देवताओं और असुरों के द्वारा किया गया सागर मंथन
गीत-संवाद के इस प्रसंग में जब देवता और असुर संधि करके समुद्र मंथन में आ रही बाधा के समाधान के लिए महादेव शिव शंकर की शरण में जाते है, तब महादेव उन्हें सुझाव देते है कि वह हिमालय पर्वत में स्थित मथनी का आकार वाले मंदार पर्वत से मथनी और पाताल लोक में निवास करने वाले नागराज वासुकी से रस्सी का कार्य ले सकते है। प्रभु उन्हें समुद्र मंथन के सफल होने का आशीर्वाद भी देते है। गीत-संवाद के माध्यम से जन कल्याण के लिए देवता और असुरों के द्वारा किए गए समुद्र मंथन का अति सुन्दर प्रस्तुतिकरण किया गया है।
मंदरांचल की बनी मथानी
वासुकी नाग की नेति बनाई
सागर मंथन में नारायण
देव गणों को हुए सहाई
सनातन धर्म के पौराणिक पुराणों, ग्रंथों एवं स्तोत्रों में कमल पुष्प पर विराजमान भगवान विष्णु की पत्नी देवी महालक्ष्मी की महिमा और देवताओं, असुरों सहित जनमानस को मिलने वाली जिस अनुकम्पा का वर्णन किया गया, उसे जनमानस तक पहुँचाने के लिए रामानंद सागर जी ने जय महालक्ष्मी धारावाहिक का निर्माण किया और उसे संगीतमय बनाने के लिए एक बार पुनः महान संगीतकार रविन्द्र जैन को चुना। जिन्होंने धारावाहिक को कुछ प्राचीन गीतों के साथ स्वयं के द्वारा लिपिबद्ध गीतों से इस प्रकार सजाया है, जो सुनने वाले के हृदय को भाव-विभोर कर देता है। “तिलक” अपने इस नए संकलन “गीत-संवाद” में देवी महालक्ष्मी से जुड़े अनेक संगीतमय प्रसंगों को आपके समक्ष प्रस्तुत करेगा। भक्ति भाव से इनका आनन्द लीजिए और तिलक से जुड़े रहिए।
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