Sanskrit class 10 chapter 12 Hemant Varnan हेमन्त वर्णनम् Valmiki Ramayanam वाल्मीकि रामायण cgbse
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लक्ष्मण द्वारा हेमंत ऋतू का वर्णन
वाल्मीकीय रामायण संस्कृत साहित्य का एक आरम्भिक महाकाव्य है जो संस्कृत भाषा में अनुष्टुप छन्दों में रचित है। इसमें श्रीराम के चरित्र का उत्तम एवं वृहद् विवरण काव्य रूप में उपस्थापित हुआ है। महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित होने के कारण इसे 'वाल्मीकीय रामायण' कहा जाता है। वर्तमान में राम के चरित्र पर आधारित जितने भी ग्रन्थ उपलब्ध हैं उन सभी का मूल महर्षि वाल्मीकि कृत 'वाल्मीकीय रामायण' ही है। 'वाल्मीकीय रामायण' के प्रणेता महर्षि वाल्मीकि को 'आदिकवि' माना जाता है और इसीलिए यह महाकाव्य 'आदिकाव्य' माना गया है।
अयं स कालः संप्राप्तः प्रियो यः ते प्रियंवद |
अलंकृत इव आभाति येन संवत्सरः शुभः ||
नीहार परुषो लोकः पृथिवी सस्य मालिनी |
जलानि अनुपभोग्यानि सुभगो हव्य वाहनः ||
सेवमाने दृढम् सूर्ये दिशम् अन्तक सेविताम् |
विहीन तिलका इव स्त्री न उत्तरा दिक् प्रकाशते ||
प्रकृत्या हिम कोश आढ्यो दूर सूर्याः च सांप्रतम् |
यथार्थ नामा सुव्यक्तम् हिमवान् हिमवान् गिरिः ||
अत्यन्त सुख संचारा मध्याह्ने स्पर्शतः सुखाः |
दिवसाः सुभग आदित्याअः छ्हाया सलिल दुर्भगाः ||
मृदु सूर्याः सनीहाराः पटु शीताः समारुताः |
शून्य अरण्या हिम ध्वस्ता दिवसा भान्ति सांप्रतम् ||
ज्योत्स्ना तुषार मलिना पौर्णमास्याम् न राजते |
सीता इव च आतप श्यामा लक्ष्यते न तु शोभते ||
प्रकृत्या शीतल स्पर्शो हिम विद्धाः च सांप्रतम् |
प्रवाति पश्चिमो वायुः काले द्वि गुण शीतलः ||
खर्जूर पुष्प आकृतिभिः शिरोभिः पूर्ण तण्डुलैः |
शोभन्ते किंचिद् आलंबाः शालयः कनक प्रभाः ||
अवश्याय तमो नद्धा नीहार तमसा आवृताः |
प्रसुप्ता इव लक्ष्यन्ते विपुष्पा वन राजयः ||
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